चालक :-
जिन पदार्थों में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक पाई जाती है तथा उनकी चालकता उच्च होती है उसे चालक कहते हैं जैसे टावर का पास होना अल्मुनियम आदि|विद्युत रोधन:-
विद्युत वर्धन होते हैं जिनमें मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या नहीं पाई जाती है तथा इनमें विद्युत क्षेत्र लगाने पर आवेश का प्रभाव भी नहीं होता है विद्युत रोधक कहलाते हैं आता इन पदार्थों की विद्युत चालकता निम्न तथा प्रतिरोधकता उच्च होती है जैसे लकड़ी ग्लास रबर माइका आदि|अर्धचालक:-
जिन पदार्थों की चालकता और और विद्युत रोधक के बीच होती है अर्धचालक चालक कहलाते हैं जैसे सिलिकॉन जर्मीनियम |डोपिंग(Doping):-
जब किसी यह काका शुद्ध अर्धचालक में अशुद्धि मिलाई जाती है तो उसे डोपिंग कहते हैं|
अर्धचालको के प्रकार :-
1.एंट्री जिक
2.एक्सट्री जिक
1.एंट्री जिक:-
अर्ध चालक सिलिकॉन अथवा जर्मीनियम का शुद्ध क्रिस्टल जिसमें केवल मूल पदार्थ के ही परमाणु हो एंट्रीजिक कहते हैं|2.एक्सट्री जिक :-
शुद्ध अर्धचालक समान ताप पर कुचालक की भांति कार्य करता है जिसके कारण सुधार चालक उपयोगी नहीं होता है इसको उपयोगी बनाने के लिए इसमें अशुद्धि मिलाई जाती है यह अशुद्धि त्रि संयोजी या पंच संयोजी होती है इस प्रकार प्राप्त अशुद्ध अर्धचालक को एक्सट्रीजिक कहते हैं|N टाइप अर्धचालक:-
जब किसी शुद्ध चालक ने 5 संयोजक वाले तत्वों के परमाणु जैसे फास्फोरस आसैनिक एंटी मनीआदि को मिलाया जाता है तो इस प्रकार प्राप्त अर्धचालक को जैन प्रकार अर्धचालक कहते हैं| यन प्रकार के अर्धचालक में बहुत संख्या आवेश वाहन होते हैं
P टाइप अर्धचालक:-
किसी शुद्ध जगबीर तृतीय ग्रुप( तीन संयोजी इलेक्ट्रॉन) के परमाणु जैसे बोरान गैलियम या इंडियम, मिलाकर पीP प्रकार के अर्धचालक प्राप्त किया जाता है|
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